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हनुमान जन्मोत्सव 2025: इन दिव्य प्रसादों से जीतें बजरंगबली का आशीर्वाद

  • Writer: soniya
    soniya
  • Apr 12
  • 3 min read



hanuman jayanti
भगवान हनुमान का जन्मोत्सव


चैत पूर्णिमा पर होता है भगवान हनुमान का जन्मोत्सव



भारतवर्ष में हनुमान जन्मोत्सव अत्यंत श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। यह पर्व चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, इसी दिन अंजना देवी और पवन देव के संयोग से भगवान हनुमान का जन्म हुआ था। यही कारण है कि इस दिन को "हनुमान जन्मोत्सव" के रूप में विशेष महत्व प्राप्त है। इस मौके पर देशभर के प्रसिद्ध मंदिरों में भव्य पूजा-पाठ और अनुष्ठानों का आयोजन होता है।

हनुमान जन्मोत्सव सिर्फ एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि आत्मबल, भक्ति और विश्वास का उत्सव है। यह दिन हमें सिखाता है कि जब भक्ति सच्ची हो और लक्ष्य प्रभु की सेवा हो, तो कोई भी बाधा बड़ी नहीं होती। इस पावन अवसर पर हनुमान जी को उनका प्रिय प्रसाद चढ़ाएं, सुंदरकांड का पाठ करें और अपने जीवन में शक्ति, सफलता और शांति का मार्ग प्रशस्त करें।

हनुमान जी का पौराणिक महत्व


हनुमान जी को अष्ट चिरंजीवियों में से एक माना गया है। वे भगवान शिव के रुद्रावतार हैं और रामायण काल में भगवान श्रीराम के सबसे प्रिय सेवक और सहयोगी रहे हैं। उन्होंने सीता माता की खोज में लंका पार की, अशोक वाटिका में प्रवेश किया, और संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण जी को जीवनदान दिया। उनकी शक्ति, बुद्धि, विनम्रता और निःस्वार्थ भक्ति आज भी लाखों भक्तों को प्रेरणा देती है।


मंदिरों में होता है भव्य आयोजन


हनुमान जन्मोत्सव पर देश के कई बड़े मंदिर जैसे कि संकटमोचन मंदिर (वाराणसी), सालासर बालाजी (राजस्थान), हनुमानगढ़ी (अयोध्या), महावीर मंदिर (पटना) आदि में विशाल स्तर पर अनुष्ठान, हवन और भजन-कीर्तन होते हैं। सुबह से ही मंदिरों में भक्तों की लंबी कतारें लग जाती हैं। विशेष भूमि पूजन, सुंदरकांड पाठ और हनुमान चालीसा का पाठ किया जाता है।


हनुमान जी को चढ़ाया जाने वाला प्रिय प्रसाद


चिरौंजी और बूंदी के लड्डू


हनुमान जी को प्रसाद में चिरौंजी और शुद्ध घी से बने बूंदी के लड्डू अत्यंत प्रिय हैं। भक्त इन लड्डुओं को मंगलवार और शनिवार को विशेष रूप से अर्पित करते हैं। यह प्रसाद प्रेम, शक्ति और समर्पण का प्रतीक माना जाता है।


भुना चना और गुड़

भुना हुआ चना और गुड़ भी बजरंगबली को अत्यंत प्रिय हैं। यह पारंपरिक प्रसाद स्वास्थ्यवर्धक भी होता है। आयरन, प्रोटीन और फाइबर से भरपूर यह प्रसाद शरीर को ऊर्जा देता है और इसे अर्पित करने से भक्तों को शारीरिक और मानसिक बल प्राप्त होता है।


सिंदूर और चमेली का तेल


पौराणिक कथाओं के अनुसार, हनुमान जी ने सीता माता के सौभाग्य के लिए अपने पूरे शरीर में सिंदूर लगा लिया था। इसी परंपरा के कारण भक्त उन्हें सिंदूर और चमेली का तेल चढ़ाते हैं। यह भक्ति और समर्पण का प्रतीक है।


नारियल और फल


हनुमान जन्मोत्सव के अवसर पर फोड़ा हुआ नारियल चढ़ाना अत्यंत शुभ माना जाता है। यह समर्पण और आस्था का प्रतीक है। साथ ही केले जैसे फल भी अर्पित किए जाते हैं, जिन्हें हनुमान जी विशेष रूप से पसंद करते हैं।


हनुमान जी की कृपा से दूर होती हैं बाधाएं


हनुमान जी को कलियुग के जीवित देवता माना जाता है। ऐसा विश्वास है कि सच्चे मन से जो भक्त उन्हें स्मरण करता है, उसकी सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं। हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का नियमित पाठ करने से जीवन में सुख-शांति और सफलता प्राप्त होती है। रामायण में भी वर्णित है कि राम कार्य सिद्ध करने वाले हनुमान जी किसी भी कार्य को असंभव नहीं मानते।




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